भले ही स्पेन ने 18 अगस्त को दूसरे आतंकी हमले को रोक दिया हो पर यह साफ हो गया है कि योरोप में अब आतंकवादी हमलों में बढ़ोतरी होेने के साथ ही आतंकवादी हमलों के लिए वाहनों का इश्तेमाल आम होता जा रहा है। अकेले अगस्त के महीने में ही इस तरह का तीसरा हमला है जिसमें बेगुनाह लोगों को मौत का शिकार बनाया जा रहा है। एक दिन पहले स्पेन के बर्सीलोना में फुटपाथ पर चल रहे लोगों पर वेन चढ़ाकर 13 लोगों को मौत के घाट उतार दिया, वहीं कई लोग इस घटना में घायल हो गए। इसके बाद वेन चालक रेस्त्रा में घुसकर बंधक बनाने के समाचार है। हांलाकि इस हमले की जिम्मेदारी ईस्लामी आतंकवादी संगठन ने ली है पर अभी तक इस संगठन के शामिल होने के ठोस सबुत नहीं मिल पाए हैं। स्पेन के प्रधानमंत्री इसे जिहादी हमला बता रहे हैं। पिछली 12 अगस्त को ही वर्जीनिया के चाल्र्ट्सविले में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गाड़ी च़ढ़ा दी गई, 9 अगस्त को पेरिस में बीएमड्ब्लू दौड़ा कर 6लोगों को घायल कर दिया गया, इंग्लैण्ड में चुनाव से चार दिन पहले 4 जून को लंदन के भीड़ भरे इलाके लंदन ब्रीज पर लोगों को वेन से रोंदते हुए कुचलना और उसके बाद जो भी सामने आए उसे चाकुओं से गोद देना आतंकवाद का नया रुप है। इससे पहले एक कंसल्ट के दौरान किया गया आतंकवादी हमला भुला भी नहीं पाए है। दुनिया में दहशत फैलाने का यह नया तरीका अपनाया है आतंकवादी संगठनों ने। इसका कारण आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ सख्ती व अधिक निगरानी है, पर आतंकवाद के इस नए रुप ने सबको सख्ते में ड़ाल दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार आतंकवादियों द्वारा आम जनता पर इस तरह के हमले कर दहसत फैलाना आसान है। भीड़ भरे इलाकोें पर इस तरह से गाड़ी चढ़ा देना साफ्ट टार्गेट होता है और आसानी से लोगों को निशाने पर ले लिया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह के हमलों को रोकना आसान भी नहीं है। योरोपीय विशेषज्ञों का मानना है कि एक हद तक ही इस तरह के हमलों को रोका जा सकता है। वेन आदि किराए पर लेकर जाने वाले व्यक्ति के बारे में आसानी से यह पता नहीं किया जा सकता कि वह इसका इश्तेमाल किसी गलत उद्देश से करेगा। इसी तरह से पहचान की एक सीमा ही हो सकती है। यही कारण है कि आतंकवादियों ने दहसत फैलाने का यह आसान तरीका अपनाना शुरु कर दिया है।
भारत में हो रही आतंकवादी गतिविधियों पर योरोपीय मीडिया चरमपंथी गतिविधियां कहकर हलके में लेने का प्रयास करता रहा है आज उसी योरोप में आतंववादी गतिविधियां अधिक सक्रियता से और नए रुप में सामने आ रही है। योरोपीय देशों में अब भीड़ भरे क्षेत्रों को निशाना बनाया जा रहा है और निशाना भी हिट एण्ड रन की तरह। अरब जमात के पांच देशों ने कतर से आपसी रिश्ते तोड़ लिए हो और अब हज यात्रा की अनुमति दे दी हो पर इससे यह साफ हो गया है कि इस्लामी आतंकवाद की जड़े काफी गहरे तक जम चुकी है। अमेरिका के कतर और कतर से रिश्ता तोड़ने वाले देशों के साथ समान रुप से हित जुड़े हुए हैं यही कारण है कि ट्र्ेवल बेन लागू करने की बात करने वाले अमेरिकी राष्ट्र्पति डोनाल्ड ट्र्म्प सार्वजनिक रुप से कतर के खिलाफ कोई फैसला नहीं कर पाए हैं। आतंकवाद आज भारत या दक्षिण एशिया की समस्या नहीं रहा है बल्कि पिछले दिनों की घटनाओं से साफ हो गया है कि आतंकवाद ने समूचे विश्व को अपने निशाने पर ले लिया है। योरोपीय देशों में खासतौर से फ्रांस और इंग्लैण्ड, स्पेन, अफगानीस्तान, सिरिया, ईराक, कैमरुन, फिलीपिंस, आयरलैण्ड, इटली, पाकिस्तान, भारत में सबसे अधिक आतंकवादी हमलें हो रहे हैं।
बढ़ते आतंकवाद को इसी से समझा जा सकता है कि इस साल के शुरुआती पांच माह और चंद दिनों में ही दुनिया के देशों में 650 से अधिक आतंकवादी घटनाएं हो चुकी हैं। इन हमलों में साढ़े तीन हजार से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। इस साल के शुरुआती साढ़े सात महिनों में ही छह बड़ी आतंकवादी घटनाएं हो चुकी हैं इसमें सीरिया में कार ब्लास्ट, अफगानिस्तान में कैप शाहिन हमला, लीबिया में एयरबेस पर हमला, काबुल में कार ब्लास्ट और अब लंदन ब्रिज पर लोगों को तेज गति से वाहन चलाकर रोंध देना आदि शामिल है। भरे बाजार या भीड़भाड वाले स्थानों पर गोलीबारी, चाकूबाजी या वाहन से रोंधना आतंकवादियों का नया शगल हो गया है। आतंकवादियों को देखा जाए तो इस तरह की घटनाएं कर लोगों में दहसत फैलाने के साथ ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है। आतंकवाद का यह चेहरा इस कारण से भी आ रहा है कि अधिक सक्रियता व चैकसी के चलते आतंकवादियों द्वारा विस्फोटक लेजाकर आंतकवादी गतिविधि को अंजाम देना मुश्किल होने लगा है।
दुनिया के सामने आतंकवादी चेहरे भी कमोबेस सामने आ चुके हैं। आईएसआईएस की गतिविधियां और विस्तार जगजाहिर है। बोकोहराम आईएसआईएस से हाथ मिलाकर आंतकवाद की दहसत फैलाने में लगा है। इराक और सीरिया पर काबिज इस्लामिक स्टेट खुखार आंतकवादी संगठन का रुप ले चुका है। तुर्की और इराक में कुर्दिश राज्य बनाने की चाहत लिए पीकेके सक्रिय है। अलकायदा की पहुंच से सारी दुनिया वाकिफ है। ऐसा माना जा रहा है कि दुनिया के 20 से अधिक देश अलकायदा की आतंकवादी गतिविधियों से सीधे सीधे प्रभावित हो रहे हैं। अल कायदा से ही संबंध लेकिन अलग से आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय अल शबाब से अफ्रिका जूझ रहा है। तालिबान ने न केवल अफगानिस्तान में शासन सत्ता संभाली बल्कि सत्ता से बेदखल होने पर आज भी गाहे बेगाहे अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। आज आतंकवादी गतिविधियों से योरोप अधिक प्रभावित हो रहा है। इसका कारण शरणार्थी समस्या है। सीरिया के शरणार्थियों की योरोप में पहुंच के बाद से आतंकवादी गतिविधियों मंे तेजी आई है। आतंकवाद को प्रश्रय देने वाला पाकिस्तान आज भी समझ नहीं पा रहा कि आतंकवादी संगठनों द्वारा उसके जमीन और निरीह लोगों को आए दिन अपना निशाना बना रहे हैं।
दूसरे देशों में आतंकवादी गतिविधियों को चरमपंथी गतिविधि कहकर हल्के में लेने वाले योरोपीय और अमेरिकी देशांे को सोचना होगा कि आतंकवादी संगठन किसी के सगे नहीं है। उनका एक मात्र ध्येय दहसत फैलाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है भले ही इसमंे बेगुनाह लोगों की जान जा रही हो। संयुक्त राष्ट्र् या और किसी मंच पर एक साथ बैठकर आतंकवादी गतिविधियों को प्रश्रय देने वाले देशों पर सख्त पांबदी, उस पर नकेल कसने और आतंकवारी संगठनों के खिलाफ सामूहिक कार्यवाही करने में अब भी देरी की गई तो आने वाले समय में इस तरह की गतिविधियां और अधिक बढ़ेगी। यह समझ लेना होगा कि निरीह नागरिकों की मौत पर खेद प्रकट करने से कुछ नहीं होने वाला, अब तो साझा रणनीति बनाकर ही आगे आना होगा।
डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा