**गीतिका**
गुरु ज्ञान का प्रकाश दिखाते सदैव हैं
हर शिष्य को गले से’ लगाते सदैव हैं
पुछा कभी जो हमने’ बताया है आपने
गलती हुई कभी तो’ सिखाते सदैव हैं
करते रहे सदा से’ है’ हम ध्यान आपका
भटके अगर तो ‘ राह ले’ आते सदैव हैं
यदि अन्धकार दिल में’ हमारे कभी हुआ
बुझते चिराग फिर से’ जलाते सदैव हैं
जिस राह हम चले है’ तो’ चलते रहे सदा
कांटे मिले डगर में’ हटाते सदैव हैं
मुश्किल पड़ी हमें तो’ मुकरते कभी नहीं
वादा किया कभी जो’ निभाते सदैव हैं
थक हारकर रुके सदा’ कदमो में’ जब कभी
गुरु हौसले हमारे’ बढ़ाते सदैव हैं
संजय करे है’ कष्ट का’ डटकर के’ सामना
गुरु जोश हर कदम में’ जगाते सदैव हैं
संजय कुमार गिरि
@सर्वाधिक सुरक्षित