साध्वियों से रेप के दोषी करार दिये जाने के बाद कैदी नंबर 1997 बन चुका डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को उसके सही अंजाम सलाखों के पीछे पहुंचा देने में एक गुमनाम खत ने अपनी प्रमुख भूमिका निभाई है। यह मार्मिक गुमनाम खत डेरा की ही एक साध्वी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को लिखा था, जिसके बाद पंचकूला के स्थानीय सांध्य दैनिक पूरा सच ने उस चिट्ठी को पूरा का पूरा छापकर डेरा प्रमुख के अपराधों की ताबूत में ऐसी कील ठोंकी जिससे वह आज रोहतक जेल का कैदी नंबर 1997 बनकर अपने किये की सजा भुगतने 20 साल के लिए सलाखों के पीछे पहुंच गया है।
अखबार में यह चिट्ठी छपने के बाद पहली बार राम रहीम की करतूत दुनिया के सामने उजागर हुई थी। हालांकि डेरा को लेकर इस तरह की खुसफुसाहट बहुत पहले से थी लेकिन डेरा की दहशत इतनी थी कि गुरमीत राम रहीम की इन कारगुजारियों के खिलाफ खुलकर बोलने का माद्दा किसी में भी नहीं था। इस दहशत को ऐसे भी महसूस किया जा सकता है कि डेरामुखी के इस सच को दुनिया के सामने लाने की कीमत पूरा सच के संपादक रामचंद्र छत्रपति को अपनी जान से हाथ धोकर चुकानी पड़ी थी। एक शाम छत्रपति के घर में घुसकर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया। आरोप है कि छत्रपति की हत्या राम रहीम के इशारे पर ही की गई थी। इसका केस भी सीबीआई कोर्ट में चल रहा है। इसमें मुख्य आरोपी के तौर पर गुरमीत राम रहीम का नाम दर्ज है।
बहरहाल, मई 2002 में रेप पीड़िता साध्वी की तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भेजे गये उस गुमनाम खत के आधार पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और राम रहीम के खिलाफ सीबीआई जांच कराई। जांच में आरोपों को सही पाया गया। जाहिर है उस खत में साध्वी ने राम रहीम द्वारा यौन शोषण का ऐसा विभत्स वर्णन किया था जिसने पीएमओ से लेकर हाईकोर्ट तक को झकझोर कर रख दिया। खत में उस गुमनाम साध्वी ने अपनी आपबीती का जिक्र करते हुए लिखा था कि किस तरह से गुरमीत राम रहीम ने अपने राजनीतिक रसूखों का हवाला देते हुए उसके परिवार को खत्म कर देने की धमकी देकर उससे मुंह काला किया करता था। चिट्ठी ने अपना असर दिखाया और प्राइम मिनिस्टर से लेकर हाईकोर्ट को इस स्तर तक एक्शन में ला दिया कि अंतत: राम रहीम को धनबल, बाहुबल व तमाम राजनीतिक रसूखों के बावजूद अपने किये की सजा भुगतने के लिए सलाखों के पीछे जाना पड़ा है।
देश विदेश में लाखों अनुयायियों के लिए भगवान का दर्जा रखने वाले राम रहीम ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि उसकी पहचान कैदी नंबर 1997 में बदल जाएगी। या कि छः करोड़ रुपये के विशाल साम्राज्य व सैकड़ों सियासतदानों के सहयोग व समर्थन के बावजूद वह एक साधारण कैदी बनकर रोहतक जेल की चहारदीवारी के बीच कैद हो जाएगा। डेरा प्रमुख को यह नई पहचान देकर कोर्ट ने साबित कर दिया है कि कानून के हाथ वाकई लंबे हैं। पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने जैसे ही इसको 15 साल पुराने रेप केस में दोषी करार दिया पूरा हरियाणा सुलग उठा। यही नहीं, इसकी आंच पंजाब व दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश व झारखंड तक में महसूस की गई।
खासकर पंचकूला में तो डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों ने ऐसी तबाही मचाई कि प्रशासन तक के हाथ पांव फूल गये। उग्र समर्थकों को काबू करने के लिए की गई कार्रवाई में 38 से अधिक लोगों की मौत हो गई जबकि 250 से अधिक घायल हो गये। करोड़ों की संपत्तियों का नुकसान हुआ सो अलग से। हालांकि पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई राम रहीम की संपत्ति से करने का आदेश पारित कर दिया है। अब जबकि मैसेंजर ऑफ गॉड सलाखों के पीछे पहुंच गया है वहां जरूर सोचता होगा कि पाप का घड़ा एक दिन भरता जरूर है और यह भी कि देर है मगर अंधेर नहीं है। इस सारे प्रकरण में जहां कोर्ट ने प्रशंसनीय भूमिका निभाकर आम जन के मन में कानून के प्रति आस्था का नवसंचार किया वहीं हरियाणा की लुंजपुंज खट्टर सरकार से बेहद निराशा हाथ लगी।
बद्रीनाथ वर्मा