नयी दिल्ली। उच्च्तम न्यायालय ने आज कहा कि दिल्ली सरकार को संविधान के दायरे में रहकर काम करना चाहिए और उसे विभिन्न फैसलों में उपराज्यपाल की सहमति लेनी चाहिए, साथ ही उपराज्यपाल को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर दिल्ली सरकार की फाइलों को निपटाना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ दिल्ली सरकार की उस अपील पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख बताने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गयी है। पीठ में न्यायमूर्ति मिश्रा के अलावा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं।
पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि दिल्ली सरकार के लिए विभिन्न फैसलों में उपराज्यपाल की सहमति आवश्यक है। केन्द्र शासित प्रदेश होने के नाते दिल्ली सरकार के अधिकारों की व्याख्या की गई है और उसकी सीमाएं तय हैं। संविधान में उपराज्यपाल के अधिकार भी चिह्नित किए गए हैं। पीठ ने कहा कि पुलिस, भूमि, सार्वजनिक व्यवस्था पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण नहीं है।
दिल्ली सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मणयम ने कहा कि बात से हम सहमत हैं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है और यह केन्द्र शासित प्रदेश है। इस मामले में अभी अंतिम फैसला आना बाकी है और आगे सुनवाई जारी रहेगी।