कुशल अभिनेता और निर्देशक अनंत महादेवन सोनी सब के आगामी शो ‘आदत से मजबूर’ के साथ टेलीविजन पर अभिनय की दुनिया में वापसी कर रहे हैं। वो ‘सिटी मैगजीन’ के पब्लिेकशन हाउस की जिम्मेदारी संभालने वाले बाॅस की भूमिका निभा रहे हैं। उनके किरदार का स्वभाव चिड़चिड़ा है, जो एक साथ बहुत सारे काम करना चाहता है। साथ ही वो रिया के अंकल के रूप में भी नजर आयेंगे, जो कंपनी में बतौर फीचर राइटर काम करने आई है। वो हमेशा ही रिया का पक्ष लेते हैं क्योंकि वो उनकी भतीजी है और साथ ही कंपनी की मालिक भी। इसके अलावा अनंत ने शो में अपनी भूमिका के बारे में और भी बातें बताईं।
सवाल: ‘आदत से मजबूर’ जैसे काॅमेडी शो को चुनने के पीछे क्या वजह रही?
जवाब: मैं टेलीविजन से जानबूझकर दूर नहीं था। टेलीविजन पर जिस तरह की स्थिति थी, उसको लेकर मन में किसी तरह का उत्साह नहीं था। भारतीय टेलीविजन पर मैंने 1983 में अपने करियर की शुरुआत की थी। मैंने साई परांजपे, ऋषिकेश मुखर्जी और गुलज़ार जैसे निर्माताओं की फिल्मों में काम किया है। ये वो लोग हैं, जिन्होंने सीरियल्स बनाये और इस परंपरा की शुरुआत की। उन्होंने स्तर को इतना ऊंचा कर दिया था, जिसकी बराबरी कर पाना मुश्किल था। इसके बाद, 90 के दशक में जब मैंने टेलीविजन पर निर्देशन का काम शुरू किया, तो अभिनेता के तौर पर मुझे कोई भी चीज आकर्षक नहीं लगी। इतने सालों के बाद, निर्देशक धर्मपाल ने मुझसे ‘आदत से मजबूर’ के लिये संपर्क किया। उन्होंने कहा कि मैं इस भूमिका के लिये बिलकुल फिट हूं। सारी चीजें मेरे पक्ष में थीं और हां, मैं काफी समय से काॅमेडी करना चाहता था। इसलिये, मैंने इस शो को करने के बारे में सोचा।
सवाल: आप अपने किरदार के बारे में बतायें?
जवाब: मि. टुटिजा एक पब्लिकेशन हाउस का बाॅस है और अपनी पहली नौकरी में सफल होने की चाहत रखने वाले युवाओं को उसे ही संभालना होता है। लेकिन समस्या ये है कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें क्या करना है। इसलिये, मुझे ही उन अलग-अलग किरदारों को संभालना है, जो वाकई अपने काम में काबिल नहीं हैं। वो व्यक्ति इन शरारती लोगों के बीच फंसा हुआ है। जब उन लोगों से आमना-सामना होता है तो आप परदे पर बड़ी ही मजाकिया स्थिति बनते देखे पायेंगे।
सवाल: बाॅलीवुड और मराठी फिल्म जगत में इतना वक्त बिताने के बाद, फिर से टीवी शो का हिस्सा बनने पर कैसा महसूस हो रहा है?
जवाब: मैंने टेलीविजन और थियेटर से अपने करियर की शुरुआत की है। इसलिये, इसे कमतर समझने का कोई कारण ही नहीं है। थियेटर, टेलीविजन और फिल्मों का अपना अलग-अलग नजरिया है। मैं हमेशा से सोचता था कि फिल्में लार्जर देन लाइफ होती हैं, टीवी स्माॅलर देन लाइफ और थियेटर रियल लाइफ है। लेकिन, जब मैंने सतीश शाह और फारूख शेख जैसे बड़े सितारों के साथ काफी सीरियल्स किये तो मैं फिल्म निर्देशन के लिये परिपक्व हो गया। मुझे अपनी फिल्म के लिये 3 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले और मैं लीक से हटकर फिल्में करता रहा। कहीं ना कहीं मेरे दिमाग में ये बात थी कि मुझे फिल्म निर्देशन से ब्रेक लेना है। निर्देशन वाकई बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है और ठीक समय पर ‘आदत से मजबूर’ का प्रस्ताव आया, जब मुझे सचमुच मानसिक शांति की जरूरत थी। सबकुछ मेरे हिसाब से हो रहा था और टेलीविजन पर अभिनय की दुनिया में कदम रखने का ये सही मौका था।
सवाल: इस भूमिका को निभाने के लिये आपने किस तरह की तैयारियां की हैं?
जवाब: निर्देशक धर्मपाल चाहते थे कि मैं अलग दिखूं और कुछ अलग करूूं। उन्होंने मुझे पोनीटेल रखने को कहा और हमने ये सोचा कि इससे थोड़ा अलग सा महसूस होगा। इससे पहले भी मैंने कई हास्य भूमिकाएं की हैं लेकिन मुझे ये चुनौतीपूर्ण लगा। मुझे उम्मीद है कि मेरे सामने जो भी चुनौतियां आयेंगी, मैं उसे पूरा कर लूंगा। मैंने अभिनेता के तौर पर खुद को ज्यादा से ज्यादा स्वतंत्र करने का फैसला किया और इस किरदार के काॅमिक पक्ष का सामने लेकर आया। काॅमेडी में काफी बारीकी होती है और हमें उसे सही रूप में प्रस्तुत करने की जरूरत होती है। मैं अपने किरदार में बदलाव करके उसे थोड़ा क्लासिक दिखाना चाहता था।
सवाल: एक लेखक, अभिनेता और निर्देशक में किस से चीज में आपकी दिलचस्पी सबसे ज्यादा है?
जवाब: ये तीनों ही क्षेत्र मेरे काफी करीब और महत्वपूर्ण रहे हैं। ये कुछ-कुछ वैसा है, जैसे आपके सामने आपकी पसंद का बहुत सारा खाना है और मुझसे ये पूछा जाये कि सबसे ज्यादा क्या पसंद है। निर्देशन की बात करें, तो मुझे ये करना बहुत पसंद है, क्योंकि इसमें कई सारी चीजें शामिल होती हैं। लिखने से लेकर प्रोडक्शन की एडिटिंग और उसके समन्वय तक। इसलिये केवल निर्देशन से ही एक साथ कई सारे स्वाद चखने को मिल जाते हैं। लिखने का काम बड़ा ही क्रिएटिव होता है और मुझे इसके लिये समय की जरूरत है। मुझे लिखना अच्छा लगता है लेकिन आपका मन ऐसा करने की स्थिति में होना चाहिये। और आखिर में अभिनय की बात करूं तो किरदारों को मैं नहीं चुनता, किरदार मुझे चुन लेते हैं। यही वो बात है जो मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित करती है और इसलिये मैं अभिनय की ओर झुका।
सवाल: अपने अन्य युवा साथियों के साथ आपका तालमेल कैसा है?
जवाब: ये नई पीढ़ी उत्साह से भरी हुई है। हमारे दौर की तुलना में आज के युवा पहले से कहीं ज्यादा आत्मविश्वासी और जानकार हैं। बस मेरी एक ही चिंता है कि उनमें जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास आ जाता है और वे बहुत ही महत्वाकांक्षी हैं क्योंकि वे अपने साथ कई सारी इच्छाएं लेकर चलते है। लेकिन ये बच्चे बहुत ही अच्छे हैं और उनके साथ काम करने में अच्छा लग रहा है। वो मुझे भी नौजवान महसूस कराते हैं और मैं भी उनका हिस्सा बन गया हूं, जो मुझे पसंद भी है। मैं सेट पर ऐसे सीनियर कलाकार की तरह बैठे नहीं रहना चाहता, जिसने सब देखा हुआ है। मैं मौज-मस्ती में हिस्सा लेता हूं, इस पीढ़ी के कंधे से कंधा मिलाकर चलता हूं, ताकि अगली फिल्म में उनकी क्षमता का इस्तेमाल कर सकूं। जब मैं इन लोगों को यूनिट में देखता हूं, तो इससे मुझे एक निर्देशक के तौर पर भी और विकसित होने में मदद मिलती है।
देखिये, अनंत महादेवन को, ‘आदत से मजबूर’ में, शुरू हो रहा है 3 अक्टूबर से,
सोमवार-शुक्रवार, शाम 7.30 बजे, केवल सोनी सब पर!