फरीदाबाद। जिले में शुक्रवार को हुई तेज बारिश से कपास की फसल में जहां भारी नुकसान होने का खतरा है, वहीं धान सहित अन्य फसलों को अभी तक कोई नुकसान नहीं है। जिन किसानों ने कपास लगाई हुई है, वे नुकसान को लेकर खासे ङ्क्षचतित दिखाई दिए। बारिश से कपास में जलभराव भी हो गया है। अब कपास की खेती करने वाले किसान रोजाना कपास चुनाई कर रहे हैं और मंडियों में कपास बेच रहे हैं। बल्लभगढ़, पलवल, होडल व हथीन की मंडियों में कपास काफी मात्रा में आ रही है। इन दिनों कपास पूरे जोर से खिल रही थी। शुक्रवार को सुबह तेज बारिश ने कपास की खेती करने वाले किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। खेतों में खिली कपास भीगने से काली पड़ जाएगी और गल जाएगी। इसके बाद अगर तेज धूप निकलती है तो कपास की फसल तप सकती है, जिससे खड़ी हुई फसल सूख जाएगी। कृषक विनोद भाटी का कहना है कि अब कपास की फसल तैयार थी और रोजाना फसल को चुनाई कर रहे थे। भाव भी मंडी 41 सौ रुपये लेकर 44 सौ रुपये प्रति कुंतल चल रहा था, लेकिन बारिश काफी तेज हुई है। फसल के नुकसान की भरपाई कर पाना मुश्किल है। संजय भाटी का कहना है कि बारिश से धान की फसल को अच्छा लाभ हुआ है। इस बार जुलाई और अगस्त में अच्छी बारिश नहीं हुई। बारिश से गेहूं की फसल को भी अच्छा लाभ मिलेगा और भूजल स्तर पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। कम बारिश होने से ट्यूबवेल रेत दे रहे थे। अब गेहूं की फसल अच्छी होगी। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संरक्षण अधिकारी डा. आनंद कुमार का कहना है कि चौधरी चरण ङ्क्षसह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के मौसम विभाग ने 22 से 24 सितंबर तक मौसम में बदलाव के बारे में पहले से मोबाइल फोन पर सूचना दे दी थी। बारिश की भी संभावना जताई थी। किसानों को कपास को पहले ही चुनाई कर लेनी थी। बारिश के बाद यदि ङ्क्षटडागलन की समस्या हो तो 2 ग्राम कॉपर ओक्सीक्लोराइड या 2 ग्राम बाविस्टिन प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर प्रति एकड़ छिडक़ाव करें। नरमा कपास में जहां पर जलभराव हो गया है, वे किसान दूसरे खेत में पानी निकासी कर दें। कपास को छोड़ कर अन्य खरीफ की फसलों में बारिश से कोई नुकसान नहीं है।