तेजतर्रार और स्मार्ट वंशिका शर्मा सोनी सब के आगामी शो ‘आदत से मजबूर’ में नजर आने वाली हैं। वो इसमें मैगजीन सिटी चक्कर की फोटोग्राफर समीक्षा (सैम) का किरदार निभा रही हैं। हरियाणा जैसी जगह में जहां कन्या भ्रूण हत्या आम है और लोग इस पर चुप्पी साधे रहते हैं, वहां पली-बढ़ी सैम को सुरक्षित बचाने के लिये उसकी मां उसे अपने गांव भेज देती है। वो अपनी सोच को लेकर स्पष्ट रहती है और वो हमेशा ही अपने डिपार्टमेंट के पुरुषों के साथ पंगा मोल लेती रहती है। युवाओं के इस सिटकाॅम की शूटिंग के दौरान के अनुभवों और इस भूमिका के बारे में सैम से हुई संक्षिप्त बातचीत प्रस्तुत हैः
सवाल : ‘आदत से मजबूर का हिस्सा बनने पर कैसा महसूस हो रहा है?
जवाब : यह मेरा पहला शो है, इसके पहले मैंने थियेटर और कुछ शाॅर्ट फिल्में की हैं। ‘आदत से मजबूर’ का हिस्सा बनने पर बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। ये सपने के पूरे होने जैसा है। इस शो के बारे में अच्छी बात यह है कि इसमें जबर्दस्ती की काॅमेडी नहीं है, बल्कि परिस्थिति से ही असली काॅमेडी बाहर आ जाती है।
सवाल : आप समीक्षा के किरदार को अपनी वास्तविक जिंदगी के कितना करीब पाती हैं?
जवाब : समीक्षा फेमिनिस्ट है। मैं समीक्षा से खुद को पूरी तरह जोड़ कर नहीं देख पाती हूं, लेकिन कुछ जगहों पर हम एक जैसे हैं। मुझे खुद यह देखकर दुख महसूस होता है कि लोग पुरुष और महिला के बीच में भेदभाव कर रहे हैं। लेकिन, यह जरूर है कि मैं समीक्षा की तरह विद्रोही नहीं हूं। हालांकि, मैं अपने विचार सबके सामने रखती हूं।
सवाल : क्या वास्तविक जिंदगी में कभी आप महिलाओं के अधिकार के लिये लड़ी हैं?
जवाब : हां, बिलकुल, लेकिन ‘आदत से मजबूर’ में समीक्षा जिस तरह से महिलाओं के अधिकार के लिये लड़ती है, वैसे नहीं। मेरी एक बहन हैं, लेकिन हमारे माता-पिता ने लड़कों की तरह हमारी परवरिश की है। हम बहुत ही साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में पले-बढ़े हैं और हमारे माता-पिता ने हम दोनों बहनों को अपना कॅरियर चुनने या अपना निर्णय लेने की छूट दी है। जब लोगों को देखती हूं कि लड़कियों को देर रात बाहर ना जाने जैसी पाबंदियां लगाते हैं तो दुख होता है। हाल ही में मैंने अपने घरेलू नौकर को समझाया कि वो अपनी बेटी को शिक्षा जैसे मूल अधिकार दे।
सवाल : इस भूमिका के लिये आपको किन चुनौतियों से होकर गुजरना पड़ा?
जवाब : कई सारी चुनौतियों से। मुझे हरियाणवी अंदाज सीखना था, जोे काफी मुश्किल था। समीक्षा ने ढेर सारे टैटू बनवा रखे हैं लेकिन मुझे टैटू पसंद नहीं। टैटू लगाने से लेकर इस किरदार के लिये तैयार होने में कम से कम एक घंटे का समय लग जाता है। और सबसे बड़ी बात कि मैं इसमें लड़कों को मार रही हूं, जो मैंने असलियत में कभी नहीं किया है। यह करना सबसे मुश्किल काम था। टाॅमबाॅय का किरदार निभाना काफी मुश्किल है, क्योंकि वास्तविक जिंदगी में मैं ऐसी नहीं हूं।
सवाल : चूंकि आपका किरदार विद्रोही और टाॅमबाॅय लड़की जैसा है तो आपको नहीं लगता कि ऐसे में काॅमेडी भूमिका निभाना कठिन होता है?
जवाब : जी बिलकुल, मैं अपनी पूरी कोशिश कर रही हूं। मुझे ज्यादातर सीन में गुस्से में दिखाया जाता है, तो ऐसे में सीन में काॅमेडी लाना थोड़ा मुश्किल लगता है। टाॅमबाॅय जैसा लुक लेकर मजाकिया दिखना कठिन है। लेकिन हमारे निर्देशक सीन के दौरान परेशानी आने पर मेरी मदद करते हैं।
सवाल : अपने दूसरे साथी कलाकारों के साथ आपका तालमेल कैसा है?
जवाब : यह अद्भुत है। हम सभी पायलट शूट के दौरान मिले थे। इतना ही नहीं हमने साथ मिलकर फिल्में भी देखी हैं। जेडी (ऋषभ चड्ढा) और सनी (अनुज पंडित) प्रैंक के पक्के खिलाड़ी हैं। रिया (सना) अपने आॅन-स्क्रीन किरदार की तरह ही बड़ी ही हंसमुख और चुलबुली है। हम रंजन (हरेश राउत) की हमेशा ही टांग खिंचाई करते रहते हैं।
देखिये, वंशिका शर्मा उर्फ सैम को ‘आदत से मजबूर’ में, शुरू हो रहा है 3 अक्टूबर से, सोमवार-शुक्रवार, शाम 7.30 बजे, केवल सोनी सब पर!