जब भी हम घर से बाहर होते हैं तो खास ध्यान रखते हैं कि पानी गंदा न पिएं. जब भी प्यास लगे तो पैसे देकर ही सही, मिनरल वॉटर की बोलत लेकर ही रहते हैं. ऐसा करने से आप सोचते हैं कि आपने कीटाणुओं को मात दे दी. लेकिन पानी पीने वाले बोतल में कितने कीटाणु हैं इसके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा.
आजकल वॉटर प्यूरीफायर के प्रयोग से पानी को साफ बनाया जाता है. घर और ऑफिस में वॉटर प्यूरीफायर लगाकर हम सोचते हैं कि हम शुद्ध पानी पी रहे हैं और इससे बीमारियां नहीं होंगी. लेकिन यहीं हमसे चूक हो जाती है, क्योंकि हम प्यूरीफायर से पानी को प्लास्टिक की बोतल में डालते हैं. फ्रिज में पानी रखने के लिए ज्यादातर हम प्लास्टिक की बोतल का ही प्रयोग करते हैं. इन बोतलों में आपके अनुमान से कहीं अधिक बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जो आपको बीमार बना सकते हैं.
बोतल और बीमारियां
एक शोध की मानें तो बोतल पर जमा इन जर्म्स में से करीब 60 प्रतिशत ऐसे होते हैं जो आपको बीमार कर सकते हैं. इनसे डायरिया, फूड पॉइजनिंग, नॉजिया, उल्टी, आदि पेट संबंधित बीमारियां हो सकती हैं. उन बोतलों से अधिक समस्या होती है, जिनका प्रयोग बार-बार मुंह लगाकर किया जाता है और उनकी सफाई ठीक से नहीं होती. मुंह लगाने से लार खुली हवा में मौजूद जर्म्स से सीधी प्रतिक्रिया करती है और कई गुना जर्म्स उस जगह पर आ जाते हैं.
शोध के अनुसार
आप रोज जिस बोतल का प्रयोग करते हैं उसमें प्रत्येक सेंटीमीटर एरिया में करीब 9 लाख जर्म्स होते हैं जो कि एक टॉयलेट सीट से कहीं अधिक है, यानी आपकी पानी पीने वाली बोतल टॉयलेट सीट से भी ज्यादा गंदी है. ‘ट्रेडिमिल रिव्यूज’ नामक एक संस्था ने एक सप्ताह तक उन बोतलों का अध्ययन किया, जिसका प्रयोग एथलीट करते थे. इस दौरान उन्होंने पाया कि उसके एक सेंटीमीटर के एरिया में करीब 9,00,000 जर्म्स की कॉलोनी बनी हुई थी.
तो करें क्या
पानी के बोतल को बनाने में पॉलीमर का प्रयोग किया जाता है जो पानी के तापमान के आधार पर प्रतिक्रिया करते हैं. ऐसे में वह पीने के पानी को खतरनाक भी बना सकते हैं. इसलिए अगर आप पानी की बोतल खरीद रहे हैं तो अच्छे प्लास्टिक वाली बोतल का ही प्रयोग करें.
ध्यान रखें
इससे बचने के लिए कुछ समय के अंतराल पर पानी की बोतल बदलते रहें. बोतल को प्रयोग करने से पहले एक बार गरम पानी से अच्छी तरह से साफ जरूर करें. स्लाइड टॉप के स्थान पर स्ट्रा टॉप वाली बोतलों का प्रयोग करें. हो सके तो प्लास्टिक की जगह मैटल वाली बोतल का प्रयोग करें.