जानता हूं मैं जीवन के कठिन रस्तों पे चलना जानता हूं मैं मुझे गिरने की न चिंता संभलना जानता हूं मैं चाहे गम हो या खुशियां मुझे न फर्क कोई
जानता हूं मैं जीवन के कठिन रस्तों पे चलना जानता हूं मैं मुझे गिरने की न चिंता संभलना जानता हूं मैं चाहे गम हो या खुशियां मुझे न फर्क कोई
उत्तर प्रदेश की सियासत और उसमें भी दलित सियासत की जब भी चर्चा होती है तो बसपा सुप्रीमों मायावती के बिना यह चर्चा अछूरी रह जाती है। वैसे तो मायावती
उमेश कुमार सिंह। .विजय न्यूज़ नेटवर्क अधिकांश देखा गया है कि होली के बाद अस्पतालों में स्किन और आंख की समस्याओं से ग्रस्त मरीजों की भीड़ लग जाती है। आंख
मेडिकल सांइस के लिए नई मुसीबत बना जानलेवा कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा है। चीन जहां पहली बार इस वायरस का संक्रमण फैला था,वहां हजारों लोग कोरोना
कैसे खेलेंगे होली ? जब अंतर्मन इतना लहुलूहान है तब फिर कैसे खेलेंगे होली? भाई को भाई ना समझा! क्या बूढ़े? क्या बच्चे? पशुओं को भी पीछे छोड़ हम, इंहानियत
मेष- आज के दिन आपको धैर्य रखते हुए जी-तोड़ मेहनत करनी है. यदि आपको कार्य के सिलसिले में कहीं जाने का मौका मिलता है तो अवश्य जाना चाहिए, बिल्कुल समय
जग की फुलवारी आओ मिल हम पौधा लगाएं, जग की फुलवारी को महकाएं। धरती को बना कर हरा भरा, सारे जगत में हरियाली फैलाएं। पेड़ पौधे हैं श्रृंगार धरती के,
कवि आशुतोष और ओटेरी सेल्वा कुमार लिखित संयुक्त काव्य संग्रह जिसका शीर्षक है “आदमी को जगाओ संसार तुम्हारा है”वर्तमान सामाजिक भावनाओं को व्यक्त करता है।इस पुस्तक में कुल पच्चास कविताएं