वायु प्रदूषण का खतरा अब घर घर मंडराने लगा है। देश और विदेशों की विभिन्न ग्लोबल एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के खतरे से बार बार आगाह करने के बावजूद न सरकार चेती है और न ही नागरिक। लगता है लोगों ने इस जान लेवा खतरे को गैर जरूरी मान लिया है। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में भारत एक बार फिर शीर्ष पर रहा है। आश्चर्य की बात है मंगलवार को जारी वैश्विक सूची के टॉप 30 में से 21 शहर भारत के है। इसका मतलब बिलकुल साफ है वायु प्रदूषण ने भारत को अपने पंजे में मजबूती से जकड रखा है। भारत की आबोहवा निरंतर जहरीली होती जा रही है। विश्व स्वास्थय संगठन के मुताबिक वायु प्रदूषण से दुनिया में हर साल 70 लाख लोगों की मौत होती है, जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है। वहीं लॅन्सेट के मुताबिक वायु प्रदूषण से भारत में सालाना 12 लाख लोगों की मौत होती है। साथ ही लाखों लोग विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहे है। इस बड़े खतरे से लापरवाही का परिणाम है की बच्चे से बुजुर्ग तक आज वायु प्रदूषण से आहत है।
आइक्यू एयरविजुअल ने 2019 विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट जारी की है। इसके आंकड़े भारत के शहरों का बुरा हाल बताते हैं। दिल्ली एनसीआर का गाजियाबाद इस सूची में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर के रूप में सामने आया है। भारत के सबसे प्रदूषित शहरों में गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा, बंधवाड़ी, लखनऊ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, बागपत, जींद, फरीदाबाद, कोरोट, भिवाड़ी , पटना, पलवल, मुजफ्फरपुर, हिसार, कुटेल, जोधपुर और मुरादाबाद शामिल है। गाजियाबाद का 2019 में औसत वायु गुणवत्ता 110.2 रही। अमेरिका की पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप यह बेहद चिंताजनक है। वायु प्रदुषण हर साल दुनिया में ७० लाख से अधिक लोगों की जान ले रहा है।
प्रदूषण के मामले में राजधानी दिल्ली का दुनिया में पांचवें स्थान पर है जबकि राजधानी के मामले में पहले स्थान पर है। वैश्विक स्तर पर हवा की गुणवत्ता के बारे में सूचना देने वाली टेक कंपनी आइक्यू के शोधकर्ताओं ने अपने ग्राउंड मॉनीटरिंग स्टेशनों से आंकड़े एकत्रित किए हैं। यह पीएम 2.5 के सूक्ष्म कण पदार्थ के स्तर को मापता है। इसमें वे सूक्ष्म कण आते हैं जो कि 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे होते हैं। इन्हें विशेष रूप से हानिकारक माना जाता है क्योंकि वे फेफड़ों और हृदय प्रणाली की गहराई में प्रवेश करने के लिए काफी छोटे होते हैं। पीएम 2.5 में सल्फेट, नाइट्रेट और ब्लैक कार्बन जैसे प्रदूषक शामिल हैं। इस तरह के कण आसानी से पहुंचकर के फेफड़ों और हृदय की परेशानियों को बढ़ा सकते हैं।
एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कमजोर दिल वालों के लिए वायु प्रदूषण नुकसानदायक साबित हो रहा है। वायु प्रदूषण दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों की जान भी ले सकता है। एक नये अध्ययन के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से इंसानों में गुर्दे की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है और गुर्दे खराब भी हो सकते हैं। प्रदूषण पर आई एक ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें सबसे तेज रफ्तार से बढ़ रही हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि फिलहाल दुनिया में जितने लोगों की मौत वायु प्रदूषण से होती है उनमें चीन पहले और भारत दूसरे नंबर पर है। प्रदूषण से होने वाली मौत भारत में सबसे तेज है। चीन के बाद भारत में प्रदूषण से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं।
बताया जाता है उद्योगों, घरों, कारों और ट्रकों से वायु प्रदूषकों के खतरनाक कण निकलते हैं, जिनसे अनेक बीमारियां होती हैं. इन सभी प्रदूषकों में से सूक्ष्म प्रदूषक कण मानव स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं। ज्यादातर सूक्ष्म प्रदूषक कण,चलते वाहनों जैसे रोजमर्रा के इस्तेमाल किए जाने वाले स्रोतों और बिजली उपकरणों, उद्योग, घरों, कृषि जैसे स्रोतों में ईंधन जलाने से निकलते हैं। हवा में मौजूद ये सूक्ष्म कण हमारे सांस लेने के दौरान बिना किसी रुकावट के सांसों के नलियों के रास्ते फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। इससे मनुष्य को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है।
प्रदूषण का अर्थ है हमारे आस पास का परिवेश गन्दा होना और प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है जिनमें वायु, जल और ध्वनि-प्रदूषण मुख्य है। पर्यावरण के नष्ट होने और औद्योगीकरण के कारण प्रदूषण की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है जिसके फलस्वरूप मानव जीवन दूभर हो गया है। महानगरों में वायु प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चैबीसों घंटे कल-कारखानों और वाहनों का विषैला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है और वृक्षों का अभाव होता है।
बाल मुकुन्द ओझा
वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार
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