बिहार सरकार की नीति पर आज कई सारे सवाल खड़े होना लाजमी हैं।आज के समय में सरकार केवल जनता को दिग्भ्रमित करने का कार्य कर रही है ।जिसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार किसी भी कायर्क्रम में जन समस्याओं पर कुछ बोलना उचित नहीं समझते हैं ।बिहार प्राचीन समय से ही भारत की अग्रणी भूमिका निभाने वाली राज्य में से एक है ।जहाँ वीर स्वतंत्रता सेनानी , आयुर्वेद चिकित्सक, शिक्षण आचार्य, राजनेता ,समाजसेवी एक कर्मनिष्ठ हुए लेकिन आज बिहार शिक्षा , स्वास्थ्य , रोजगार जैसे कई जनसमस्याओं की मार से पिछड़ता जा रहा है ।स्थिति इतनी गभीर हो गई है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के मामलें में बिहार देश के सबसे निचले पायदान पर पहुँच गया है। और सरकार को केवल आरोप – प्रत्यारोप में दिलचस्पी दिख रही है।यहाँ तक कि सरकार संसद में शिक्षा की बाधाओं को दूर करने के स्थान पर हास्यस्प्रद बयान देती है ।जो प्रजा के प्रति ओछी सोच को दर्शाता है ।प्रमाणिक तौर पर “मनुस्मृति” राज्य सम्बंधि विचार के अनुसार राजा प्रजा के हर प्रकार से हितकर हो , ऐसा ना होना राजा , स्वामी या सरकार के अयोग्य अथवा निरंकुश होने के प्रमाण है ।फलतः जनता को सत्ता अथवा राज्य सिंघासन से उतारने का पूर्ण अधिकार है।
वैसे सरकार जनता को लुभाने के लिए नए – नए नुस्खें अपनाने से बाज नहीं आती ।कुछ हद तक सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य पर पैसे खर्च करती भी है तो वो जैसे मानो ; ‘ऊँट के मुँह में जीरा का फोड़न’ वो भी केवल जीरा का खाली पैकेट ।मैं नहीं मानता कोई भी सरकार का इस तरह का रवैया (घोड़ा बेचकर कर सोने जैसा )जन – कल्याणकारी सिद्ध हो ।
मनकेश्वर महाराज “भट्ट”
रामपुर डेहरू , मधेपुरा (बिहार)