करीब 34 साल बाद देश को नई शिक्षा नीति मिली है जोकि आगामी कम से कम दो दशकों तक शिक्षा के रोडमैप की तरह होगी. यह नीति इसलिये भी महत्वपूर्ण
करीब 34 साल बाद देश को नई शिक्षा नीति मिली है जोकि आगामी कम से कम दो दशकों तक शिक्षा के रोडमैप की तरह होगी. यह नीति इसलिये भी महत्वपूर्ण
आजाद भारत अपनी विवधता को लेकर शायद ही कभी इतना असहज रहा हो. आज जबकि कोरोना जैसे संकट से लड़ने के लिये हमें पहले से कहीं अधिक एकजुटता की जरूरत
अगस्त 2009 में भारत के संसद द्वारा निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम पर सहमति की मुहर लगायी गयी थी और 1 अप्रैल 2010 से यह कानून पूरे देश
शिक्षा अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित ऐसा कानून है जो 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों के शिक्षा की जिम्मेदारी लेता है. उम्मीद थी कि इस कानून
हम सदी के सबसे बड़े संकट में हैं पूरी मानवता सहमी हुयी हैं, खुद को पृथ्वी की सबसे शक्तिशाली जीव समझने वाली प्रजाति आज एक वायरस के सामने बेबस और
मध्यप्रदेश में शिवराजसिंह चौहान की मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी हो गयी है इसी के साथ ही वे मध्यप्रदेश के राजनीति में ऐसे पहले नेता बन गये हैं जो चौथी
यह ना संयोग है ना प्रयोग बल्कि एक प्रोजेक्ट है जिसे बहुत तेजी से पूरा किया जा रहा है. भारत को ‘हम’ और ‘वे’ में बांट देने का प्रोजेक्ट, जिसके
एसिड अटैक महिलाओं के प्रति हिंसा का क्रूरतम रूप है. एसिड हमला एक ऐसा सस्ता और सुलभ हथियार है जिसका उपयोग बदला लेने के लिये किया जाता है. महिलाओं से
भोपाल गैस पीड़ितों के आवाज अब्दुल जब्बार (1 जून 1957–14 नवम्बर 2019) वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल जब्बार भाई का बीते 14 नवंबर को निधन हो गया. वे भोपाल गैस पीड़ितों
यह अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार समझौते का तीसवां वर्ष है, 20 नवम्बर 1989 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा द्वारा “बाल अधिकार समझौते” को पारित किया गया था. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
केंद्र में भारी बहुमत से दोबारा सत्ता में आने के करीब पांच महीनों के भीतर भाजपा दो राज्यों के विधानसभा चुनाव में हांफती नजर आयी. हालांकि इन दोनों राज्यों में
मध्यप्रदेश में कांग्रेस अमूमन अपने प्रादेशिक क्षत्रपों को सामने रख कर मैदान में उतरती रही है लेकिन इस बार ऐसा लगता है कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद को फ्रंट पर
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपने लम्बे कार्यकाल के दौरान बेहिसाब घोषणाओं, विकास के लम्बे-चौड़े दावों और विज्ञापनबाजी में बहुत आगे साबित हुये है, वे हमेशा घोषणा मोड में रहते
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपने लम्बे कार्यकाल के दौरान बेहिसाब घोषणाओं, विकास के लम्बे-चौड़े दावों और विज्ञापनबाजी में बहुत आगे साबित हुये है, वे हमेशा घोषणा मोड में रहते
कुछ समय से “मंदसौर” लगातार सुर्खियों में बना हुआ है, इस बार मामला 7 वर्षीय बच्ची के साथ की गयी दरिंदगी का है जिसके बाद शिवराज सरकार प्रदेश में कानून
पिछले करीब दो सालों से मप्र में आंगनबाड़ी केंद्रों से मिलने वाले पूरक पोषण आहार सप्लाई को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. जिसकी वजह से पोषण आहार वितरण
“पुरोहितों ने पुराणों की प्रशंसा लिखी है, कम्युनिस्टों और विवेकवादी लेखकों ने इन पुराणों की टीकायें लिखी हैं, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि हमारी भी कोई आत्मा है,
2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से गौरक्षा के नाम पर दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले और उन्हें आतंकित करने के मामले बढ़े हैं। इंडिया स्पेंड वेबसाइट के
“पुरोहितों ने पुराणों की प्रशंसा लिखी है।, कम्युनिस्टों और विवेकवादी लेखकों ने इन पुराणों की टीकायें लिखी हैं, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि हमारी भी कोई आत्मा है
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार के लोग यह दावा करते नहीं थकते हैं कि मध्यप्रदेश तरक्की की राह पर चलते हुए बीमारू राज्य के तमगे को काफी पीछे
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की 6 महीने की निजी और धार्मिक यात्रा का समापन हो गया है इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश की