आज पश्चिम बंगाल के चुनाव का मुद्दा राष्ट्रीय चर्चा एवं चिन्ता की प्राथमिकता लिये हुए है। संभवतः आजादी के बाद यह पहला चुनाव हैं जो इतना चर्चित, आक्रामक होकर राष्ट्रीय
आज पश्चिम बंगाल के चुनाव का मुद्दा राष्ट्रीय चर्चा एवं चिन्ता की प्राथमिकता लिये हुए है। संभवतः आजादी के बाद यह पहला चुनाव हैं जो इतना चर्चित, आक्रामक होकर राष्ट्रीय
सर्वोच्च न्यायालय ने जन-प्रदर्शनों, आन्दोलनों, बन्द, रास्ता जाम, रेल रोकों जैसी स्थितियों के बारे में जो ताजा फैसला किया है, उस पर लोकतांत्रिक मूल्यों की दृष्टि से गंभीर चिन्तन होना
मनुष्य इस दुनिया का एक हिस्सा है या उसका स्वामी? वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न बन गया है क्योंकि मनुष्य के कार्य-व्यवहार से ऐसा मालूम होने लगा
पूरे राष्ट्र की दृष्टि पश्चिम बंगाल पर केन्द्रित है। तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के आग्र्रह, दुराग्रह एवं पूर्वाग्रह के कारण उसका संकट बढ़ता ही जा रहा है। उसकी
इक्कीसवीं सदी तो महिलाओं के वर्चस्व की सदी मानी जाती है। उन्होंने विभिन्न दिशाओं में सृजन की ऋचाएं लिखी हैं, नया इतिहास रचा है। अपनी योग्यता और क्षमता से स्वयं
भारत में कोरोना संक्रमण के कहर को झेल रही जिन्दगी बड़े कठोर दौर के बाद अब सामान्य होने की कगार पर दिखाई दे रही है। वैज्ञानिकों की नेशनल सुपर मॉडल
भारत भविष्य की आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना देख रहा है और कोरोना महामारी से ध्वस्त हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में जुटा है, इन संकटकालीन एवं चुनौतीभरी परिस्थितियों
दिल्ली में राष्ट्रीय गौरव दिवस पर हिंसा, अराजकता एवं उपद्रव का जहां एक काला पृष्ठ रचा गया, वही दूसरी ओर सुदीर्घ लम्बी पदयात्राओं के निमित्त से आयोज्य आचार्य श्री महाश्रमण
किसान आन्दोलन तथा विभिन्न विचारों, मान्यताओं के विघटनकारी दलों के घालमेल की राजनीति ने भारत के गणतंत्र को शर्मसार किया। भीड़ वाले आंदोलनों का अब तक का यही इतिहास रहा
इक्कहतर वर्षों के बाद आज हमारा गणतंत्र कितनी ही कंटीली झाड़ियों से बाहर निकलकर अपनी गौरवमय उपस्थिति का अहसास करा रहा है। अनायास ही हमारा ध्यान गणतंत्र की स्थापना से
देश में लगातार हिन्दू धर्म एवं उसके देवताओं का उपहास उडाया जाता रहा है, जबकि दूसरे धर्म एवं उनके देवताओं के साथ ऐसा होने पर उसे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन
लोकतंत्र के रूप में दुनिया में सबसे अधिक सशक्त माने जाने वाले एवं सराहे जाने वाले अमेरिका की ताजा घटनाक्रम के बाद भारत के लोकतंत्र को दुनिया अचंभे की तरह
विश्व हिन्दी दिवस- 10 जनवरी 2021 पर विशेष विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा
कोरोना के संक्रमण पर काबू पाने के लिए लगाई गई पूर्णबंदी के दौर में व्यापक पैमाने पर लोगों को रोजगार और रोजी-रोटी से वंचित होना पड़ा और इसके साथ-साथ घर
नए वर्ष का स्वागत हम इस सोच और संकल्प के साथ करें कि हमें कोरोना महामारी को अलविदा कहते हुए कुछ नया करना है, नया बनना है, नये पदचिह्न स्थापित
देश में बीस दिनों से किसान आंदोलन चल रहा है, किसान भड़के हुए हैं और आंदोलनरत है तो वहीं इनकी वजह से लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़
हाल ही में एथनोलॉग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार हिंदी विश्व में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन गयी है। वर्तमान में 637 मिलियन लोग हिंदी भाषा का
कोरोना महाव्याधि एवं संकट से संघर्ष करते हुए हम बहुत टूट गये हंै, निराशाजनक एवं नकारात्मक शक्तियों से घिर गये हैं। इन स्थितियों से उपरत होने के लिये एवं जीवन
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, यह नाम भारतीय इतिहास का एक ऐसा स्वर्णिम पृष्ठ है, जिससे एक सशक्त जननायक, स्वप्नदर्शी राजनायक, आदर्श चिन्तक, दार्शनिक के साथ-साथ युग को एक खास रंग देने की
उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी के निर्माण के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सराहनीय एवं साहसिक शुरुआत करते हुए यमुना एक्सप्रेस के पास एक हजार एकड़ भूमि उपलब्ध कराने
कोरोना की उत्तरकालीन व्यवस्थाओं पर चिन्तन करते हुए बढ़ते पर्यावरण एवं प्रकृति विनाश को नियंत्रित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, इसके लिये बढ़ते शहरीकरण को रोकना एवं गांव आधारित जीवनशैली