चल बेटा उठ जा ! नहीं बापू , अभी नहीं उठ जा बेटा पता नहीं क्या तुझे कल टीवी में बता रहा था । कुछ बजट नाम का पुड़िया छोड़ने
चल बेटा उठ जा ! नहीं बापू , अभी नहीं उठ जा बेटा पता नहीं क्या तुझे कल टीवी में बता रहा था । कुछ बजट नाम का पुड़िया छोड़ने
एक कहानी बड़ी पुरानी है । आज यही कहानी राजनीतिक पटल पर एक दम सटीक बैठती है । भेड़ों से नेताजी ने वादा किया कि वे हर भेड़ को एक-एक
नूतन वर्ष का अभिनव – अभिनंदन करता हर उद्वेलित आतुर मन , किसी छोटे नीरव , निश्छल , निर्बोध बालक की तरह ही है । आने वाले कल की चिंताओं
यद्यपि भारत की पवित्र भूमि पर प्रत्येक वर्ष विभिन्न त्योहार व उत्सव मनाए जाते हैं । जिनमें सामाजिक पर्व , सांस्कृतिक पर्व व राष्ट्रीय पर्व सम्मिलित हैं । जिनका संबंध
अरे ! शर्मा जी ज़रा रुकिए । कैसे हैं , काफी दिनों बाद दिखाई दिए ? चाय तो पीते जाइये । मैंने पीछे से आवाज़ लगाई । हम आवाज लगाते
शहरीकरण और आधुनिकता के अंधाधुंध अनुकरण से हम स्वयं अब त्रस्त होते जा रहे है । दुनिया के मंच पर अपने आप को साबित करने के प्रयास मे हम अपने
एक पुरानी कहानी नये रूप में , नई सोच और नई पीढ़ी के लिए है । एक बच्चे को आम का पेड़ बहुत पसंद था।जब भी फुर्सत मिलती वो आम
इंसान की परिस्थिति ही उसे महान कार्य करने के लिए प्रेरित करती है । कई बार हम अपमानित होते हैं । कई बार हम हारतें हैं । कई बार न
समाज समय के साथ बदल रहा है । माना भारतवर्ष लोकतांत्रिक देश है और अपने मत और विचार को सबके सामने प्रस्तुत करना हमारा अधिकार भी है परंतु क्या इस
आज विद्यालय में प्रत्येक विदयार्थियों के माता – पिता को आमंत्रित किया गया था । मैं भी येन-केन प्रकारेण काम-काज निपटा कर विद्यालय जा पहुँची और मुझे देख कर ऐसा
एक बार सागर में दो घड़े तैर रहे थे । एक मिट्टी का घड़ा और दूसरा पीतल का था । दोनों तैर तो रहे पर पानी में , पर दोनों
खुशी की बात है दिनेश्वर शर्मा को मोदी सरकार ने कश्मीर मुद्दे के राजनीतिक हल को तलाशने के लिए अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया । वतन मेरा , लोग मेरे ,