Gupt Navratri 2021: पंचांग के अनुसार 12 फरवरी शुक्रवार से माघ मास का शुक्ल पक्ष प्रारंभ हो रहा है. इसी शुक्ल पक्ष से माघ मास की गुप्त नवरात्रि 2021 भी प्रारंभ
Gupt Navratri 2021: पंचांग के अनुसार 12 फरवरी शुक्रवार से माघ मास का शुक्ल पक्ष प्रारंभ हो रहा है. इसी शुक्ल पक्ष से माघ मास की गुप्त नवरात्रि 2021 भी प्रारंभ
वेदों में मानवजाति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए विविध पर्वों का विधान है । पर्व अर्थात धार्मिक कृत्य, त्यौहार, व्रत एवं उत्सव । हिन्दुओं के तीर्थक्षेत्रों के
नई दिल्ली. 26 जनवरी को प्रदोष व्रत है. इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है. पंचांग के अनुसार पौष का महीना चल रहा है. पौष के महीने में
‘कोरोना की पृष्ठभूमि पर गत कुछ महीनों से त्योहार-उत्सव मनाने अथवा व्रतों का पालन करने हेतु कुछ प्रतिबंध थे । यद्यपि कोरोना की परिस्थिति अभी तक पूर्णतः समाप्त नहीं हुई है, तथापि वह धीरे-धीरे पूर्ववत हो रही है । ऐसे समय त्योहार मनाते समय आगामी सूत्र ध्यान में रखें । त्योहारमनाने के सर्व आचार, (उदा. हलदी-कुमकुम समारोह, तिलगुड देना आदि) अपने स्थान की स्थानीय परिस्थिति देखकर शासन-प्रशासन द्वारा कोरोना से संबंधित नियमों का पालन कर मनाएं । हलदी-कुमकुमका कार्यक्रम आयोजित करते समय एक ही समय पर सर्व महिलाआें को आमंत्रित न करें, अपितु ४-४ के गुट में 15-20 मिनट के अंतर से आमंत्रित करें । तिलगुडका लेन-देन सीधे न करते हुए छोटे लिफाफे में डालकर उसका लेन-देन करें । 4. आपस में मिलते अथवा बोलते समय मास्क का उपयोग करें । किसीभी त्योहार को मनाने का उद्देश्य स्वयं में सत्त्वगुण की वृद्धि करना होता है । इसलिए आपातकालीन परिस्थिति के कारण प्रथा के अनुसार त्योहार-उत्सव मनाने में मर्यादाएं हैं, तथापि इस काल में अधिकाधिक समय ईश्वर का स्मरण, नामजप, उपासना आदि करने तथा सत्त्वगुण बढाने का प्रयास करने पर ही वास्तविक रूप से त्योहार मनाना होगा । मकरसंक्रांति से संबंधित आध्यात्मिक विवेचन त्योहार, उत्सव और व्रतों को अध्यात्मशास्त्रीय आधार होता है । इसलिए उन्हें मनाते समय उनमें से चैतन्य की निर्मिति होती है तथा उसके द्वारा साधारण मनुष्य को भी ईश्वर की ओर जाने में सहायता मिलती है । ऐसे महत्त्वपूर्ण त्योहार मनाने के पीछे का अध्यात्मशास्त्र जानकर उन्हें मनाने से उसकी फलोत्पत्ति अधिक होती है । इसलिए यहां संक्रांत और उसे मनाने के विविध कृत्य और उनका अध्यात्मशास्त्र यहां दे रहे हैं । उत्तरायणऔर दक्षिणायन : इस दिन सूर्य का मकर राशि में संक्रमण होता है । सूर्यभ्रमण के कारण होनेवाले अंतर की पूर्ति करने हेतु प्रत्येक अस्सी वर्ष में संक्रांति का दिन एक दिन आगे बढ जाता है । इस दिन सूर्य का उत्तरायण आरंभ होता है । कर्क संक्रांति से मकर संक्रांति तक के काल को ‘दक्षिणायन’ कहते हैं । जिस व्यक्ति की उत्तरायण में मृत्यु होती है, उसकी अपेक्षा दक्षिणायन में मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति के लिए, दक्षिण (यम) लोक में जाने की संभावना अधिक होती है । संक्रांतिका महत्त्व : इस काल में रज-सत्त्वात्मक तरंगों की मात्रा अधिक होने के कारण यह साधना करनेवालों के लिए पोषक होता है । तिलका उपयोग : संक्रांति पर तिल का अनेक ढंग से उपयोग करते हैं, उदाहरणार्थ तिलयुक्त जल से स्नान कर तिल के लड्डू खाना एवं दूसरों को देना, ब्राह्मणों को तिलदान, शिवमंदिर में तिल के तेल से दीप जलाना, पितृश्राद्ध करना (इसमें तिलांजलि देते हैं) श्राद्ध में तिलका उपयोग करने से असुर इत्यादि श्राद्ध में विघ्न नहीं डालते । आयुर्वेदानुसार सर्दी के दिनों में आनेवाली संक्रांति पर तिल खाना लाभदायक होता है । अध्यात्मानुसार तिल में किसी भी अन्य तेल की अपेक्षा सत्त्वतरंगे ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है तथा सूर्य के इस संक्रमण काल में साधना अच्छी होने के लिए तिल पोषक सिद्ध होते हैं । 3 अ. तिलगुड का महत्त्व : तिल में सत्त्वतरंगें ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है । इसलिए तिलगुड का सेवन करने से अंतःशुद्धि होती है और साधना अच्छी होने हेतु सहायक होते हैं । तिलगुड के दानों में घर्षण होने से सात्त्विकता का आदान-प्रदान होता है । हलदी–कुमकुमके पंचोपचार 4 अ. हलदी–कुमकुम लगाना : हलदी-कुमकुम लगाने से सुहागिन स्त्रियों में स्थित श्री दुर्गादेवी का सुप्त तत्त्व जागृत होकर वह हलदी-कुमकुम लगानेवाली सुहागिन का कल्याण करती है । 4 आ. इत्र लगाना : इत्र से प्रक्षेपित होनेवाले गंध कणों के कारण देवता का तत्त्व प्रसन्न होकर उस सुहागिन स्त्री के लिए न्यून अवधि में कार्य करता है । (उस सुहागिन का कल्याण करता है ।) 4 इ. गुलाबजल छिडकना : गुलाबजल से प्रक्षेपित होनेवाली सुगंधित तरंगों के कारण देवता की तरंगे कार्यरत होकर वातावरण की शुद्धि होती है और उपचार करनेवाली सुहागिन स्त्री को कार्यरत देवता के सगुण तत्त्व का अधिक लाभ मिलता है । 4 ई. गोद भरना : गोद भरना अर्थात ब्रह्मांड में कार्यरत श्री दुर्गादेवी की इच्छाशक्ति को आवाहन करना । गोद भरने की प्रक्रिया से ब्रह्मांड में स्थित श्री दुर्गादेवीची इच्छाशक्ति कार्यरत होने से गोद भरनेवाले जीव की अपेक्षित इच्छा पूर्ण होती है । 4 उ. उपायन देना : उपायन देते समय सदैव आंचल के छोर से उपायन को आधार दिया जाता है । तत्पश्चात वह दिया जाता है । ‘उपायन देना’ अर्थात तन, मन एवं धन से दूसरे जीव में विद्यमान देवत्व की शरण में जाना । आंचल के छोर का आधार देने का अर्थ है, शरीर पर धारण किए हुए वस्त्र की आसक्ति का त्याग कर देहबुद्धि का त्याग करना सिखाना । संक्रांति-काल साधना के लिए पोषक होता है । अतएव इस काल में दिए जानेवाले उपायन सेे देवता की कृपा होती है और जीव को इच्छित फलप्राप्ति होती है । 4 उ 1. उपायन में क्या दें ? : आजकल साबुन, प्लास्टिक की वस्तुएं जैसी अधार्मिक सामग्री उपायन देने की अनुचित प्रथा है ।
आज के दौर में धन दान को ही महत्व दिया जाता है. सनातन धर्म में पांच प्रकार के दान वर्णित हैं. विद्या, भूमि, कन्या, गौ और अन्न दान सदैव योग्य
लोहड़ी सिख धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है. लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया
मेष राशिफल 2021 में (Mesh Rashifal 2021) के अनुसार, मेष राशि वाले जातकों के लिए आने वाला नया साल बहुत ही उत्साह, पराक्रम और कई बदलावों से भरपूर रहने वाला
वृषभ राशिफल 2021 (Vrishabh Rashifal 2021) की मानें तो एस्ट्रोसेज आपके लिए लेकर आया है, आने वाले नए साल, वर्ष 2021 से जुड़ी वृषभ राशि के जातकों के जीवन की
मिथुन राशिफल 2021 (Mithun Rashifal 2021) के अनुसार मिथुन राशि के जातकों को आने वाले नए वर्ष में बहुत सी उठा-पठक से दो-चार होना पड़ सकता है। इस दौरान जहाँ
कर्क राशिफल 2021 (Kark Rashifal 2021) में हम कर्क राशि के जातकों के जीवन की हर छोटी-बड़ी भविष्यवाणी लेकर आएं है जिसकी मदद से आप जान सकेंगे कि आपके जीवन
सिंह राशिफल 2021 (Singh rashifal 2021) के माध्यम से हमेशा की तरह एस्ट्रोसेज लेकर आया है आपके लिए आने वाले अगले 12 महीनों का पूरा लेखा-जोखा जिसकी मदद से आप
कन्या राशिफल 2021 (Kanya Rashifal 2021) के अनुसार, कन्या राशि के जातकों को इस वर्ष पंचम भाव में मौजूद शनि कभी अच्छे फल देंगे, तो कभी अधिक मेहनत कराने वाले
तुला राशिफल 2021 (Tula rashifal 2021) के अनुसार ये वर्ष आपके लिए बहुत सारे बदलाव लेकर आने वाला है। जहाँ आपको इस वर्ष कई क्षेत्रों में सफलता मिलेगी, तो वहीं
वृश्चिक राशिफल 2021 (Vrishchik Rashifal 2021) के अनुसार आने वाला नया साल वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बहुत से बदलाव और सौगात लेकर आने वाला है। इस समय आपका
धनु राशिफल 2021 (Dhanu Rashifal 2021) के माध्यम से एस्ट्रोसेज आपको बताएगा कि आने वाला नया साल धनु राशि के जातकों के लिए क्या कुछ ख़ास लेकर आने वाला है।
मकर राशिफल 2021 (Makar Rashifal 2021) से हम जानेंगे कि मकर राशि वाले जातकों के लिए वर्ष 2021 क्या ख़ास लेकर आ रहा है। करियर की बात करें तो मकर
कुम्भ राशिफल 2021 (Kumbh Rashifal 2021) के अनुसार ये वर्ष कुंभ राशि के जातकों के लिए कई महत्वपूर्ण परिवर्तन लेकर आने वाला है। इस वर्ष की शुरुआत में आपको कार्यक्षेत्र
मीन राशिफल 2021 (Meen Rashifal 2021) के अनुसार ये वर्ष मीन राशि के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। कार्यक्षेत्र में आपकी तरक्की होगी और विदेश से अच्छा लाभ मिलेगा।
हिंदू धर्म में तीर्थयात्रो का विशेष महत्व है. वेदों और पुराणों में भी तीर्थयात्रा करने का महत्व माना गया है. तीर्थयात्रा का उद्देश्य ईश्वर के करीब रहने की अनुभूति करना
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर सोमवार को लग रहा है. यह सूर्य ग्रहण ज्यादातर दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा. यह सूर्य ग्रहण खंडग्रास होगा और लगभग 5 घंटे
पुणे। साईं बाबा संस्थान ने साईं दर्शन के लिए आने वाले भक्तों से अपील की है कि शिरडी साईं दर्शन के लिए तंग कपड़ों में न आएं. साईं ट्रस्ट ने