नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की उपासना की जाती है. इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने
नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की उपासना की जाती है. इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने
विजय न्यूज़ ब्यूरो नई दिल्ली। नौ दिन तक चलने वाला त्यौहार “ नवरात्र ” हिंदुओ का एक पवित्र और प्रमुख त्यौहार हैं जिस देश के कौने – कौने मे बड़ी
नवदुर्गा के सिद्धि और मोक्ष देने वाले स्वरूप को सिद्धिदात्री कहते हैं। सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्र के नौवें दिन की जाती है। देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि-मुनि, साधक और गृहस्थ
मां दुर्गा का आठवां स्वरुप है महागौरी। नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है। देवी मां के आठवें स्वरूप को महागौरी के नाम से पुकारा
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी कहा जाता है। कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने असुर
कात्यायनी : मां के छठे स्वरूप को कहते हैं मां कात्यायनी। कहते हैं इनकी अराधना से भय, रोगों से मुक्ति और सभी समस्याओं का समाधान होता है। ऐसा माना जाता
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है। स्कंदमाता को सृष्टि की पहली प्रसूता स्त्री माना जाता है। भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के
आज नवरात्र का चौथा दिन है। नवरात्र का चौथे दिन देवी कुष्मांडा का होता है। देवी की पूजा उनके महामंत्र के बिना बिल्कुल न करें। मां कुष्मांडा के बीजमंत्र का
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का रूप बहुत ही सौम्य है। मां को सुगंधप्रिय है। उनका वाहन सिंह है। उनके दस हाथ
शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इससे ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ
नौ दिनों तक मां दुर्गा के नवस्वरूपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ रूपो में सबसे पहला रूप शैलपुत्री का हैं। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री