
इस मौके पर ऑन्कोलॉजिस्ट और सर्जन के साथ-साथ कई क्षेत्रों के विशेषज्ञों की टीम ने पीड़ित बच्चों के अभिभावकों के साथ अपने अनुभव साझा किए जिनके बच्चे कैंसर से जंग जीत चुके थे। फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम में पेडियाट्रिक हीमेटोलॉजी ऑन्कोलॉजी एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट के अतिरिक्त निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ. विकास दुआ ने कहा, ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों की स्थिति और शुरुआती लक्षणों के प्रति अनजान रहते हैं लिहाजा उनमें जागरूकता बढ़ाना जरूरी है कि अत्याधुनिक तकनीक और अनुभवी चिकित्सा टीम की मदद से ऐसी स्थिति से पूरी तरह उबरा जा सकता है। पेडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी एक चिकित्सा विशेषज्ञता है जो कैंसर से पीड़ित बच्चों का प्रभावी इलाज करती है और बेहतरीन परिणाम देती है। लिहाजा अभिभावकों को शुरुआती और सामान्य लक्षणों के प्रति सजग रहना जरूरी है ताकि बच्चों के स्वस्थ जीवन के लिए वे सही समय पर उनका इलाज करा सकें। हमारी टीम के पास कैंसर पीड़ित बच्चों के इलाज करने का व्यापक अनुभव है और वे न सिर्फ भारत में इलाज कर चुके हैं बल्कि विदेशों में भी ऐसे बच्चों का इलाज कर चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 0 से 19 वर्ष के आयु वर्ग के लगभग 4 लाख बच्चों में किसी न किसी रूप में कैंसर का पता चलता है और इंडियन कैंसर सोसाइटी के अनुसार भारत में हर साल ऐसे 50000 से अधिक मामले सामने आते हैं। वयस्कों के विपरीत, बच्चों में कैंसर तेजी से फैलता है, लेकिन कैंसर कोशिकाएं कीमोथेरेपी उपचार के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं जो इसे एक बहुत ही व्यावहारिक और वास्तविक रूप से प्राप्त करने योग्य लक्ष्य बनाती है। डॉ मानसी सचदेव ने बताया कि अधिकतर बच्चों के कैंसर का इलाज जेनेरिक दवाओं ,कीमोथेरेपी ,रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी से इलाज के योग्य होता है जिसमे की शीघ्र निदान और सही उपचार महत्त्वपूर्ण है। हालांकि भारत में सारे कैंसर केसेस में बाल कैंसर के मामले सिर्फ 3 प्रतिशत तक दुर्लभ होते हैं। लेकिन यह अभी तक मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। ऑन्कोलॉजी उपचार के क्षेत्र में हाल की प्रगति के साथ इलाज की दर अधिक है और ठीक होने वाले बच्चों में उत्पादक जीवन भी उच्च पाया जाता है बशर्ते उचित उपचार का लाभ उठाया जाए।