सुबह सुबह तुम उठकर नित्य,
माता पिता को करो प्रणाम।
माता-पिता अगर साथ ना हों,
लिया करो तुम उनका नाम।
नित्य स्नान ध्यान कर के ही,
शुरू करना तुम अपना काम।
चाहे जहां कहीं भी तुम रहना,
माता पिता हरदम याद करना।
अगर कहीं तुम्हें डर लगे तो,
उनकी सीख तुम करना याद।
माता पिता हरदम तेरे साथ,
सुख दुख हो या कोई बात।
हर कदम सही रास्ता दिखाते,
लड़खड़ाए पांव साथ हो जाते।
बिगड़े काम तो वे बना देते,
उचित क्या है पहले बता देते।
हरदिन उनका तुम पांव दबाना,
नियत समय पर दवा खिलाना।
करो माता पिता का सम्मान,
सारे जगत में होगा तेरा नाम।
माता ममता की नदी है गंगा,
पिता होते आम के वृक्ष समान।
माता पिता के चरण चारो धाम,
इनके ऊपर न कोई दूजा नाम।
सुबह सुबह तुम उठकर नित्य,
माता पिता को करो प्रणाम।
गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम
देवदत्तपुर दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार
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