ज्यों ज्यों मतदान के चरण आगे बढ़ते जा रहे हैं सोशियल मीडिया और अधिक सक्रिय होता जा रहा है। मजे की बात यह है कि एक दूसरे को जोड़ने, नजदीक
ज्यों ज्यों मतदान के चरण आगे बढ़ते जा रहे हैं सोशियल मीडिया और अधिक सक्रिय होता जा रहा है। मजे की बात यह है कि एक दूसरे को जोड़ने, नजदीक
सरकार द्वारा धीरे धीरे सरकारी लाभकारी योजनाओं और बैंक खातों सहित अन्य सेवाओं को आधार कार्ड से जोड़ने के निर्देशों का लाख विरोध किया जा रहा हो पर जो परिणाम
यों तो आर्थिक क्षेत्र में मोदी सरकार द्वारा एक के बाद एक साहसिक निर्णय किए जा रहे हैं पर गए साल से आम बजट को परंपरागत समय से पहले प्रस्तुत
यह आंकड़े भले ही दिल्ली के हो पर कमोबेस यह तस्वीर सारी दुनिया की देखने को मिलेगी। दिल्ली पुलिस द्वारा राजधानी दिल्ली में 2017 की आपराधिक गतिविधियों के इसी माह
सबसे पहले तो यह साफ हो जाना चाहिए कि एच-1 बी वीजा नियमों में बदलाव को टालना अमेंरिकी राष्ट्र्पति ट्र्ंप की मजबूरी है तो दूसरी और भारतीय कूटनीति और युवा
कम उम्र में तन्हाई की जिंदगी जीने वाली महिलाआंे की तादाद मंे बढ़ोतरी बेेहद चिंता का विषय है। देश में सात करोड़ से अधिक महिलाओं का अकेली रहना कहीं ना
वर्ष 2017 की विदाई और 2018 के प्रवेश के अवसर पर बधाई। 31 दिसम्बर की रात 12 बजे नए साल की हेप्पी न्यू ईयर के शब्द घोष के साथ नए
नए आलू के आते ही हमारी बाजार व्यवस्था ने एक बार फिर पोल खोल कर रख दी है। नए आलू आने के बाद आलू की लागत भी नहीं निकलने के
चलो गुजरात और हिमाचल के चुनाव परिणाम आ गए। 22साल से लगातार सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा सरकार बचाने में कामयाब रही वहीं हिमाचल में कांग्रेस सत्ता से बाहर
चुनाव विश्लेषकों के बड़े-बड़े दावों व गुजरात और हिमाचल प्रदेश की मतगणना के रुझानोें के बीच यह आलेख आपके सामने है। प्रश्न यह नहीं है कि चुनावों में कौन सा
देर सबेर सउदी अरब में अब महिलाओं के प्रति कट्टरवादी सोच में बदलाव की बयार आने लगी है। हाल ही में सउदी महिलाओं को खेल के मैदान में जाकर वहां
चुनाव आयोग की इसे बड़ी सफलता माना जाएगा कि हिमाचल में शांतिपूर्ण मतदान संपन्न हो गए। ईवीएम से मतदान के दौरान वीवीपैट यानी कि वोटर वैरिफाइड पेपर आॅडिट ट्रायल मशीन
सरदार पटेल की जयंति 31 अक्टूबर से एक बार फिर देश में सतर्कता जागरुकता सप्ताह पूरे धूमधाम लंबे चैड़े भाषणों, संकल्पों और सेमिनार आयोजित कर मनाया गया हैं। एक सप्ताह
भले ही ऐसोचेम और एमआरएसएस की हालिया रिपोर्ट को अतिशयोक्तिपूर्ण करार कर कमतर देखने का प्रयास किया जाए पर यह साफ है कि केवल और केवल रख रखाव के कारण
खेत को प्रयोगशाला बनाते वैज्ञानिक किसान जहां एक और अन्नदाता को केन्द्र मेें रखकर आज देश में राजनीतिक लाभ उठाने के प्रयासों में तेजी आई हैं वहीं धरती से जुड़े
किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि बैंकिंग क्षेत्र में इस तेजी से बदलाव आएगा कि प्रतिष्ठा सूचक एटीएम कार्ड की जितनी सहज पहंुच आम आदमी तक हो जाएगी, उतनी
एक अफबाह कैसे अफरातफरी फैला कर लोगों का मौत का सबब बन जाती है इसका जीता जागता उदाहरण है मुंबई रेल्वे स्टेशन का हादसा। देश में यह पहला मौका नहीं
आजादी के सात दशक बाद भी देश में कर्ज की अंतिम परिणती मौत को गले लगाना ही हो तो इससे अधिक दुर्भाग्यजनक और शर्मनाक क्या हो सकता है। पिछले दिनों
टाइम्स हायर एजुकेशन वल्र्ड यूनिवर्सिटी की इसी माह जारी रिपोर्ट भारतीय उच्च शिक्षण संस्थाओं की पोल खोलने के लिए काफी है। हांलाकि संतोष इस बात पर किया जा सकता है
आम आदमी को जीवनदान देने वाले धरती के देवता यानी की डाॅक्टर दूसरों को तनाव रहित रहने की भले ही लाख सीख देते हो पर जो आंकड़े सामने आ रहे
भले ही स्पेन ने 18 अगस्त को दूसरे आतंकी हमले को रोक दिया हो पर यह साफ हो गया है कि योरोप में अब आतंकवादी हमलों में बढ़ोतरी होेने के